विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा है कि केंद्र के बनाए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को राज्य सरकार को लागू करना पड़ेगा। राज्य सरकारें समवर्ती सूची के विषयों पर ही कानून बना सकती हैं। जैसे मोटरव्हीकल एक्ट के तहत केंद्र ने कानून बनाया। स्टेट के रीजन इसे लागू नहीं करेंगे। पर कानून की व्यवस्था यह है कि कॉन्करेंट सब्जेक्ट में सेंट्रल गर्वमेंट ने कोई कानून बना दिया तो कोई भी राज्य उसके विरोध में कोई कानून नहीं बना सकता।
राजस्थान में लागू नहीं होगा सीएए: सीएम
डॉ. जोशी शुक्रवार को यहां मीरा गर्ल्स कॉलेज में पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। बता दें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एलान करते आ रहे हैं कि राजस्थान में सीएए और एनआरसी लागू नहीं करेंगे। लेकिन जोशी ने कहा, देश में चर्चा है कि भारत सरकार ने कानून पास कर दिया है सीएए का। यह कानून है। स्टेट गर्वमेंट को छूट नहीं है। सिटीजनशिप का कानून बनाना गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के संविधान के अंदर सेंट्रल सब्जेक्ट-स्टेट सब्जेक्ट है। अब वोट देकर देश की सत्ता को बदलना चाहते हैं। देश की नीतियों को परिवर्तित करना चाहते हैं, लेकिन वोटर को हम एजुकेट नहीं करना चाहते हैं। अब वोटर को एजुकेट करेगा एजुकेट नौजवान। यह संस्कार यदि हम छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से नई पीढ़ी को नहीं दे सकते हैं तो आनेवाले समय में संसदीय लोकतंत्र के सामने बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा हो जाएगा।
जोशी ने इसलिए कहा ऐसा : नागरिकता संघ सरकार का अधिकार क्षेत्र
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि भारत राज्यों का संघ है। संविधान में संघ सरकार और राज्य सरकार की शक्तियों का विभाजन किया गया है। इसके लिए संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का उल्लेख है। इनके जरिए संघ और राज्य सरकार में किसी भी तरह के गतिरोध को रोकने का प्रयास किया गया है। इन सूचियों को बनाने की मूल भावना यह है कि कानून बनाने की शक्तियां एक ही जगह केंद्रित ना होकर शक्तियों का विभाजन हो और इनकी सीमा रेखाएं तय हों। संघ सूची में 17 नंबर पर नागरिकता का उल्लेख है। इस पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है। लिहाजा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी का बयान संविधान के अनुरूप है।
सीएम गहलोत ये बोले थे
जयपुर में गत 21 दिसंबर को सीएए के खिलाफ कांग्रेस और अन्य दलों तथा विभिन्न समुदायों के शांति मार्च के बाद सीएम गहलोत ने एेलान किया था कि राज्य में सीएए और एनआरसी को लागू नहीं करेंगे। देशभर में जिस तरह से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और खुद एनडीए के साथी दलों की सरकारें इसे लागू नहीं कर रही हैं, ऐेसे में केंद्र को जनभावनाओं को समझते हुए इस कानून को वापस लेना चाहिए और एनआरसी लागू नहीं करने की घोषणा करनी चाहिए